मुझे चार भैंस चाहिए ,न एक कम न एक ज्यादा ! मुझे आई.ए .एस बनना है !आप भी कहेंगे ,भला भैंस से आई.ए.एस कोई कैसे बनता है ?जी नहीं ,बनता है !अगर नहीं बनता है तो भी बनने की कोशिश करता है |चलिए आपको सुना ही देता हूँ भैंस से आई.ए .एस बनने के कोशिशों की कहानी|ये कहानी शुभकुमारी की सच्ची कहानी है ,वो शुभकुमारी जो हमारे देश के हर गली,कस्बे ,गाँव ,गिरांव में है ,वो शुभकुमारी जो राहुल गाँधी के भाषणों में उन्हें जननेता साबित करने के लिए ,नारी अधिकारों से जुड़े कानूनों ,दावों,और कार्यक्रमों में नारी की मौजूदगी को कायम रखने के लिए कथित तौर पर मौजूद रहती है ,लेकिन टी .वी पर नहीं आती |वो शुभकुमारी जो हमारी बहन ,बेटी ,माँ भी हो सकती थी ,मगर नहीं हुई !आखिर उसे तो जन्म लेना था इस किस्से का हिस्सा बनने के लिए |आज से ठीक तीन दिन पहले अस्वस्थता के बावजूद मैं अपने एक ब्यूरोक्रेट मित्र के कार्यालय में मौजूद था ,उसके कार्यालय में घुसने से पहले मुझे बाहर की मेज़ पर बैठी मिल गयी शुभकुमारी|साफ़ सुथरे लेकिन बिना इस्त्री किये कपडों में साक्षात् काली माई के रूपावतार में |बालों में लगे ढेर सारे तेल और कंधे पर कालिख पुते झोले को देखकर मैंने सोचा , हमेशा की तरह कोई आम आदिवासी लड़की ,सरकारी कर्मचारियों के जोर- जुल्म की शिकायत करने आई होगी |मैं कार्यालय में अन्दर घुसा और अपने अतिज्ञान एवं पत्रकार होने के अहम् को सर्वोपरि रखते हुए ,मित्र और उसके अधीनस्थों के बीच,विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की रसीली चर्चा में शामिल हो गया |ठीक दस मिनट बाद शुभकुमारी कमरे में दाखिल हुई ,मित्र के टेबल पर अपनी दरखास्त सबसे ऊपर रख कर ,अभी उसने हाँथ जोड़ा ही था कि मेरे मित्र ने तपाक से बोला "तुम्हे भैंस नहीं मिल सकती !"
कहाँ बांधोगी तुम भैंस ?कहाँ है तुम्हारे पास जमीन ?चार भैसं ही क्यूँ चाहिए तुम्हे ?मैं अवाक था ये किस्सा -ए -भैंस क्या है ??शुभकुमारी ने याचक की तरह कहा "सरकार हमारे पास १२ बिस्वा जमीन है हम वहीँ भैंस को बाँध लेंगे ,वो जमीन हमारी है हमारे बाप दादा जोतते -कोड़ते थे सरकार "|मित्र ने लगभग खीजते हुए कहा" मैं क्या करूँ ?मैंने लिख कर भेज दिया था बैंक मैनेजर को ,वो नहीं सुनता तो हमारी क्या गलती ?वो कहता है जमीन तुम्हारी नहीं ,जेपी सीमेंट की है |अब अगर तुमने भैंस खरीदी और फिर जेपी ने जमीन खाली करा ली तो भैंस के पैसों की वसूली के लिए तुम्हे कहाँ कहाँ खोजेंगे" |शायद शुभकुमारी को इस सरकारी खीज की अपेक्षा नहीं थी बस फिर क्या था फूट फूट कर रोने लगी |"हम दो महीना से चक्कर काट रहे हैं ,काहे को परेशान कर रहे हैं बैंक मेनेजर ,आप कह देते सरकार तो मिल जाता ,जमीन है हमारे पास" |शायद आंसुओं पर भी असहमति का गुण नहीं आया था मेरे मित्र को ,उसने खुद को थोडा सा संयत करते हुए कहा 'अच्छा चुप हो जाओ ,चलो हम अपने पास से पैसे देते हैं तुम एक भैंस खरीद लो '| शुभकुमारी को ये जवाब मंजूर नहीं था " नहीं सरकार हमें चार ही भैंस चाहिए ,एक भैंस से कुछ नहीं होगा "|मित्र ने कुछ पल को सोचा और कहा "जाओ ,तीन दिन बाद आना ,हम बात करते हैं मैनेजर से ,जाओ अपनी दरखास्त की फोटो स्टेट कराकर ले आओ" |शायद शुभकुमारी को ये जवाब भी अच्छा नहीं लगा उसने कहा "'साहब ,अब मत दौडाईयेगा थक गए हैं ,शुभकुमारी ने ये कहते हुए अपने आंसू पोछे और दरखास्त लेकर बाहर निकल गयी "|
शुभकुमारी के निकलने के बाद अन्दर का वातावरण बेहद शांतथा जिसे मेरे मित्र की रौबदार आवाज ने ठहाकों के साथ तोड़ दिया ,"जानते हैं आप आवेश जी' ? मैं अचंभित था उस ठहाके पर ,क्या ?मैंने किसी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ को तलाशने के अंदाज में पूछा |लेकिन जो जवाब था वो उससे भी बढ़कर |मित्र ने धीमे से कहा 'शुभकुमारी लोन के पैसे से भैंस नहीं खरीदेगी ,वो पैसे लेकर दिल्ली जायेगी और वहां आई..ए .एस की कोचिंग करेगी '!अरे !हाँ सही कह रहा हूँ ,विश्वास न आये तो तुम पूछ लेना ,वो पढ़ी लिखी ही नहीं विश्वविद्यालय की टॉपर है "|"ऐसा कैसे ?यार दे दो उसे ,जो दो नंबर की सरकारी कमाई है उसमे से दे दो "मैंने कहा |इसके पहले की हम सवाल जवाब में और उलझते शुभकुमारी कागज़ लेकर फिर अन्दर आ गयी ,इस बार मेरी निगाहें उसके दरखास्त पर थी ,जिस पर बेहद सुन्दर अक्षरों में लिखे दो शब्द ,टेबल पर पहुँचने से पहले मेरी आँखों में टंग गए 'आपकी दी गयी भैंस मेरे परिवार के लिए जीवनदान साबित होंगी ' |
इस बार मैंने अपना चेहरा शुभकुमारी की ओर किया एवं पूछ बैठा 'क्या तुम सचमुच भैंस खरीदोगी ?....."नहीं भैया ,भैंस नहीं खरीदूंगी ,पैसे लुंगी ,दिल्ली जाउंगी और पढ़कर आई..ए .एस बनकर आउंगी ,मेरी माँ ने नालियों की गन्दगी साफ़ करके मुझे पोस्ट ग्रेजुएट बनाया है,सभी प्रथम श्रेणी , पहले भी दिल्ली गयी थी कुछ पैसे लेकर जो मैंने ठोंगे बनाकर बेचकर इकट्ठे किये थे मगर अब वो ख़त्म हो गए हैं,लेकिन जाना है और बनकर दिखाना है" |शायद मेरा मित्र उसकी साफगोई और पैसे देने के मेरे तर्क से इस बार सहमत था ,उसने चश्मा उतारते हुए कहा "ठीक है ,तुम्हे हर महीने तीन हजार रूपए हम अपने पास से देंगे ,तुम कल आकर मुझसे १२ महीने के एडवांस चेक ले जाना ,जब तक पढना हो तब तक पढना" |"क्या ?.!!!!!!..................शुभकुमारी इस बार हंस भी रही ,रो भी रही थी ,उसने दरखास्त को हांथों में लिए और उनके साथ में उनमे बैठी चार भैंसों को चिंदी चिंदी करके फेंक दिया |मेरे दोस्त के आगे हाँथ जोड़े खड़ी शुभकुमारी ने जाते जाते कहा ''हमें मोहल्ले वाले भैंस कहते हैं ,शायद उसी की तरह मोटी और काली हूँ ,और कुछ काम भी नहीं करती ,इसलिए सोचा था पढने के लिए भैंस ही खरीदना ठीक होगा ,आपने हमें गाय समझा,इसका धन्यवाद |
कहाँ बांधोगी तुम भैंस ?कहाँ है तुम्हारे पास जमीन ?चार भैसं ही क्यूँ चाहिए तुम्हे ?मैं अवाक था ये किस्सा -ए -भैंस क्या है ??शुभकुमारी ने याचक की तरह कहा "सरकार हमारे पास १२ बिस्वा जमीन है हम वहीँ भैंस को बाँध लेंगे ,वो जमीन हमारी है हमारे बाप दादा जोतते -कोड़ते थे सरकार "|मित्र ने लगभग खीजते हुए कहा" मैं क्या करूँ ?मैंने लिख कर भेज दिया था बैंक मैनेजर को ,वो नहीं सुनता तो हमारी क्या गलती ?वो कहता है जमीन तुम्हारी नहीं ,जेपी सीमेंट की है |अब अगर तुमने भैंस खरीदी और फिर जेपी ने जमीन खाली करा ली तो भैंस के पैसों की वसूली के लिए तुम्हे कहाँ कहाँ खोजेंगे" |शायद शुभकुमारी को इस सरकारी खीज की अपेक्षा नहीं थी बस फिर क्या था फूट फूट कर रोने लगी |"हम दो महीना से चक्कर काट रहे हैं ,काहे को परेशान कर रहे हैं बैंक मेनेजर ,आप कह देते सरकार तो मिल जाता ,जमीन है हमारे पास" |शायद आंसुओं पर भी असहमति का गुण नहीं आया था मेरे मित्र को ,उसने खुद को थोडा सा संयत करते हुए कहा 'अच्छा चुप हो जाओ ,चलो हम अपने पास से पैसे देते हैं तुम एक भैंस खरीद लो '| शुभकुमारी को ये जवाब मंजूर नहीं था " नहीं सरकार हमें चार ही भैंस चाहिए ,एक भैंस से कुछ नहीं होगा "|मित्र ने कुछ पल को सोचा और कहा "जाओ ,तीन दिन बाद आना ,हम बात करते हैं मैनेजर से ,जाओ अपनी दरखास्त की फोटो स्टेट कराकर ले आओ" |शायद शुभकुमारी को ये जवाब भी अच्छा नहीं लगा उसने कहा "'साहब ,अब मत दौडाईयेगा थक गए हैं ,शुभकुमारी ने ये कहते हुए अपने आंसू पोछे और दरखास्त लेकर बाहर निकल गयी "|
शुभकुमारी के निकलने के बाद अन्दर का वातावरण बेहद शांतथा जिसे मेरे मित्र की रौबदार आवाज ने ठहाकों के साथ तोड़ दिया ,"जानते हैं आप आवेश जी' ? मैं अचंभित था उस ठहाके पर ,क्या ?मैंने किसी बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ को तलाशने के अंदाज में पूछा |लेकिन जो जवाब था वो उससे भी बढ़कर |मित्र ने धीमे से कहा 'शुभकुमारी लोन के पैसे से भैंस नहीं खरीदेगी ,वो पैसे लेकर दिल्ली जायेगी और वहां आई..ए .एस की कोचिंग करेगी '!अरे !हाँ सही कह रहा हूँ ,विश्वास न आये तो तुम पूछ लेना ,वो पढ़ी लिखी ही नहीं विश्वविद्यालय की टॉपर है "|"ऐसा कैसे ?यार दे दो उसे ,जो दो नंबर की सरकारी कमाई है उसमे से दे दो "मैंने कहा |इसके पहले की हम सवाल जवाब में और उलझते शुभकुमारी कागज़ लेकर फिर अन्दर आ गयी ,इस बार मेरी निगाहें उसके दरखास्त पर थी ,जिस पर बेहद सुन्दर अक्षरों में लिखे दो शब्द ,टेबल पर पहुँचने से पहले मेरी आँखों में टंग गए 'आपकी दी गयी भैंस मेरे परिवार के लिए जीवनदान साबित होंगी ' |
इस बार मैंने अपना चेहरा शुभकुमारी की ओर किया एवं पूछ बैठा 'क्या तुम सचमुच भैंस खरीदोगी ?....."नहीं भैया ,भैंस नहीं खरीदूंगी ,पैसे लुंगी ,दिल्ली जाउंगी और पढ़कर आई..ए .एस बनकर आउंगी ,मेरी माँ ने नालियों की गन्दगी साफ़ करके मुझे पोस्ट ग्रेजुएट बनाया है,सभी प्रथम श्रेणी , पहले भी दिल्ली गयी थी कुछ पैसे लेकर जो मैंने ठोंगे बनाकर बेचकर इकट्ठे किये थे मगर अब वो ख़त्म हो गए हैं,लेकिन जाना है और बनकर दिखाना है" |शायद मेरा मित्र उसकी साफगोई और पैसे देने के मेरे तर्क से इस बार सहमत था ,उसने चश्मा उतारते हुए कहा "ठीक है ,तुम्हे हर महीने तीन हजार रूपए हम अपने पास से देंगे ,तुम कल आकर मुझसे १२ महीने के एडवांस चेक ले जाना ,जब तक पढना हो तब तक पढना" |"क्या ?.!!!!!!..................शु
itani mehnati ladki,waah,khuda uski IAS hone ki tammana jarur puri kare,yahi dua.
जवाब देंहटाएंहमारी शुभकामनाएँ इनके साथ हैं.
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
आवेश जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस सत्य घटना पर क्या कहूँ? हमारे देश में जाने कितनी शुभकुमारी विलक्षण प्रतिभा होने पर भी प्रारम्भिक शिक्षा से महरूम रह जाती है| वो सहायता मांग रही थी, भीख नहीं, फिर भी हमारे देश के पूंजीवादी प्रजातंत्र ने उसके सपने छीन लिए| उसके सपने पूरे हों, बस यही दुआ है| आपकी सोच और लेखनी में यूँ हीं संजीदगी बनी रहे, शुभकामनायें|
सही लिखा है आवेश भाई आपने पर कर क्या सकते है हम ?
जवाब देंहटाएंmann gad gad hogaya is baar ka katrane ka blogpost padh kar :)
जवाब देंहटाएंशुभकुमारी ज़रूर सफल होगी.
जवाब देंहटाएंEsa bhi hota hai? kamal hai....shubhkumari safal ho yahhi kaamna hai.
जवाब देंहटाएंआवेश जी, आपकी पोस्ट पढ़कर सबसे पहले उस लड़की को शुभकामनाऎ दूँगी जिसने माँ की तरह नाली साफ़ करना स्वीकार नही किया व अपना रास्ता खुद चुना। अधिकतर यही देखा जाता है अभावों में ही मनुष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा होता है। साधन सम्पन्न हमेशा बाप-दादा की कमाई धन दौलत को बर्बाद करते नजर आते हैं। एक और बात आपके दोस्त को भी धन्यवाद, आज कोई किसी की बिना मतलब मदद नही करता, मगर उन्होने की।
जवाब देंहटाएंaj bhi kae jagho par paise ki killat ke karan bahut logo ke sapne sapne hi reh jate hai magar jab har log madad karne ke liye issi tarah aggay badhega ho sapke sapno ko samman milega....bahut bhabuk bahut sundar rachna...........
जवाब देंहटाएंकाश , ऐसी शुभकुमारियों की मदद के लिए समाज सदैव आगे रहे...
जवाब देंहटाएंपहले भी दिल्ली गयी थी कुछ पैसे लेकर जो मैंने ठोंगे बनाकर बेचकर इकट्ठे किये थे मगर अब वो ख़त्म हो गए हैं,लेकिन जाना है और बनकर दिखाना है"
जवाब देंहटाएंऐसी शुभकुमारिया ही देश का नाम रौशन करती हैं ......!!
shubhkumari ko desh ki aor se shubhkaamna... bas dua ki ki uske sapne poore hoon! Aur Awesh ji woh hogi bhi... bas apne dost ko kahiye gaa ki woh sahridayata se madad karen aur smart investor ki tarah isme koi return naa dekhen !
जवाब देंहटाएंeak achhi post ke liye badhai !
us ladki ke jazbe ko salam
जवाब देंहटाएंaur apke likhne ki shaili ko bhi jisne us ladki ke liye man me suhanubhuti nahi samman paida kar diya
vimal chandra pandey
This onblog is one of the best i ever read! i like it and hope that she'll be an IAS.
जवाब देंहटाएंmujhe aapki true story aur likhne ka andaaz bahoot achha laga. eswar unko IAS banne safal kare
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