गुरुवार, 26 मार्च 2009

माओवादियों का मायामोह


आतंकी हमलों से थर्रा रहे देश में लोकतंत्र की हत्या की तैयारियां शुरू हो गयी है ,कत्ल भी उन हाथों के द्वारा जिन्हें हमने ,खुद पर शासन करने का अधिकार दिया गुंडों माफियाओं को संसद और विधानसभाओं के गलियारों का सुख दिलाने में फिलहाल कोई राजनैतिक दल पीछे नहीं है लेकिन हम जो आपको आज सुनाने जा रहे हैं वो हिन्दुस्तान के ,मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य की हकीकत है तो लोकतंत्र में विश्वास रखने वालो के मुँह पर तमाचा, ये वो सच है जिससे हम राजनीति का सबसे खौफनाक अध्याय कह सकते हैं उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने वाली बहुजन समाज पार्टी ने पहले दलितों से परहेज किया फिर सर्वजन का नारा देकर उसे भी किनारे कर अपराधी-माफियाओं का साथ लिया और अब जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है बसपा ने देश भर में अशांति फैलाने वाले नक्सलियों का साथ लेना शुरू कर दिया है .लोकतान्त्रिक देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए किस्म किस्म के अलोकतांत्रिक तरीके अख्तियार करने से मुख्यमंत्री मायावती चूक नहीं रही ,चुनावी महासमर में माफियाओं की हनक को भुना रही बसपा आतंक का सृजन करने वाले माओवादियों से मदद लेने में भी हिचक नहीं रही .देश में रक्तक्रांति के बल पर समता स्थापित करने की बात कहने वाले माओवादियों ने इस लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है इससे न केवल बसपा बल्कि नक्सली संगठनों के वैचारिक दिवालियेपन का पर्दाफाश हो रहा है देश के आदिवासी इलाकों में इससे नए किस्म का तनाव पनप रहा है ,सो अलग.
माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के टॉप कैडर उत्तर प्रदेश,बिहार झारखण्ड,मध्य प्रदेश और बिहार के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं ,हथियार बंद नक्सली गांव -गांव घूम घूमकर ग्रामीणों को बसपा के पक्ष में मतदान करने का हुक्म सुना रहे हैं और वोट न देने की स्थिति में आदिवासियों को सजा भुगतने की धमकी दी जा रही है. गौरतलब है की बहुजन समाज पार्टी ने झारखण्ड के गढ़वा सीट से पिछले उप चुनाव में कुख्यात नक्सली व पांच लाख के इनामी एरिया कमांडर कामेश्वर बैठा को मैदान में उतारा था हालाँकि उत्तर प्रदेश के नौगढ़ इलाके में पी.ए.सी की ट्रक उडाने के साथ साथ ७० से ज्यादा पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी चुनाव जीतने में असफल रहा माओवादियों के समर्थन से बसपा अति उत्साहित है स्थिति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि मायावती ने घोर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है जबकि बसपा का वहां जनाधार नही है,वहीँझारखंड,बिहार,मध्यप्रदेश में भी उन्ही सीटों पर उमीदवार खड़े किये जा रहे हैं जिन पर नक्सालियों का आतंक चरम पर है.
जहाँ तक उत्तर प्रदेश का प्रश्न है दलितों की मसीहाई का दावा करने वाली बसपा कुख्यात नक्सालियों के दम -ख़म पर आदिवासी-गिरिजनों के वोट हासिल करेगी नक्सली कमांडर शत्रुघ्न की मौत के बाद उत्तर प्रदेश -बिहार -झारखंड सब जोनल एरिया की बागडोर थामे लाल्व्रत कॉल ,मुन्ना विश्वकर्मा एवं कमलेश चौधुरी का गैंग कई टुकडियों में गांव -गांव घूम रहा है एवं बैठकें कर आदिवासी दलितों का माइंड वाश कर रहा है आदिवासियों में नक्सलियों का आतंक इस कदर है कि कई इलाकों में सारे के सारे वोट बसपा के पक्ष में फिक्स हो रहे हैं इस बात की भी पक्की खबर है कि नक्सल प्रभावित राज्यों में बसपा के संभावित प्रत्याशियों ने अपने अपने माध्यमों से नक्सली संगठनों को समर्थन का पैगाम भेजा है यहाँ तक कि इस पूरे गठजोड़ की जानकारी बसपा के शीर्ष लीडरों को भी है ,यह भी पता चला है कि चुनावों के दौरान माओवादियों ने उन सभी सीटों पर किसी भी वारदात को अंजाम न देने का फैसला किया है ,जिन सीटों पर बसपा के प्रत्याशी मैदान में हैं समझा जाता है कि इसके एवज में पुलिस किसी भी वाँछित नक्सली पर कोई कार्यवाही नहीं करेगी ,यह भी हो सकता है कि माओवादी उत्तर प्रदेश में अगले दो सप्ताह के दौरान अपने कुछ कारकूनों को पुलिस के सुपुर्द कर दे,सूत्रों से खबर मिली है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान नक्सली कमांडरों ने उत्तर प्रदेश की बिहार से सटी सीमा में घुसकर आधा दर्जन बैठके की हैं ,हालाँकि पुलिस इससे साफ़ इनकार कर रही है पूरे देश में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का विरोध करने वाले नक्सली बहुजन समाज पार्टी का जिस किसी कीमत पर समर्थन कर रहे हैं ,इसका खामियाजा आने वाले समय में पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है.

6 टिप्‍पणियां:

  1. AWESH
    AAPNEY JO BHI LIKHA HAI SACH BAHUT HI DARAVNA SACH HAI...........
    HUM GHARO MAIN BAITHEY SHAR VASI YE JANTEY BHI NAHI KI YE HUMAREY DESH KEY NETA APNI SEAT KEY LIYE ITNEY GHINONEY KHEL KHEL RAHEY HAIN.......
    DHANYEVAD HUMEY JAGRUK KARNEY KEY LIYE...............

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  2. apki lekhni is baat ko sabit kerti hai ki kranti laane ke liye, soch badalne ke liye aur jagrookta failnaane ke liye,ek kalam ki takkat talwaar ke zor se se zjyada hoti hai...

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  3. निरीह जनता का शोषण करने के कुचक्र को कुचलने की जरूरत है.. ऐसे नेता और पार्टी के ऊपर चुनाव आयोग की पैनी दृष्टि क्यों नहीं पड़ती जो नक्सालियों की मदद ले कर चुनाव अपने पक्ष में करने की कुटिल नीति अपना रही है.. हम सब का कर्त्तव्य बनता है कि शत प्रतिशत मतदान में हिस्सा लेकर ऐसे नेता व पार्टी को आगे बढ़ने से रोकें ....

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  4. आवेश जी,
    इतनी तथ्यपरक जानकारी आम जनता को नहीं हो पाती, आपने इसे प्रस्तुत कर बहुत साहस और जागरूकता-वर्धक कार्य किया है| राजनीति के खेल को हर वर्ग अब समझ रहा है, बावजूद हर प्रांत कि स्थिति अमूमन एक हीं जैसी है| जबतक अपराधियों को राजनीति में शामिल होने पर प्रतिबन्ध न लगेगा, पूरे देश की स्थिति और भी भयावह होती जायगी| आपके लेख से शायद कुछ लोगो में चेतना का संचार हो सके| शुभकामनाएं |

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  5. माया की माया से कोई भी अनभिज्ञ नहीं ,ज़रुरत है मतदान के समय सोये हुए लोगों को जगाने की| जागे हुए लोंग ही सोतों को उठा सकते हैं ,ऐसे में आपका लेख प्रशंसनीय है शायद कुछ लोंग माया के मोह से जागें और सत्य का साथ दें |
    आपके लेखन के लिए शुभकामनाएं ........

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