जूता खाओ,जन्मदिन मनाओ
अगर आप लोकतंत्र में, सरकारी गुंडई का खौफ देखना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश आइये जन्मदिन के चंदे के नाम पर एक ईमानदार अभियंता की हत्या से सिहर रहे प्रदेश में शर्म भी आज शर्मसार हो रही है मैडम मायावती के जन्मदिन ने अधिकारियों की नींदें तो उड़ा ही दी हैं,व्यवसायी और आम आदमी भी त्राहि त्राहि कर रहा है भारत के इतिहास में किसी राजनेता की ऐसी अंधेरगर्दी फ़िर कभी देखने को शायद ही मिले यह लोकतंत्र के मुँह पर तमाचे की तरह है और राज्य समर्थित भ्रष्टाचार का अब तक का सबसे बड़ा उदाहरण है
इस चंदे की वसूली के पीछे मुख्यमंत्री जो भी तर्क दें लेकिन ये सच है की वे लूटो और सबमे बाटों की निति को अंजाम दे रही है आलम ये है की मैडम का केक कटवाने को आतुर बसपा के विधायक एवं सांसद भी खुलेआम, बहती गंगा में अपना हाँथ धो रहे हैं ख़बर है की विगत २६ दिसंबर तक राज्य भर से लगभग ८ करोड़ रुपये की पहली किस्त बतौर नजराना प्रस्तुत कर दी गई है वहीँ बाकी के पैसे के लिए प्रशासनिक अधिकारीयों,व्यापारियों के घरों के दरवाजे की कुण्डी लगातार खटखटायी जाई रही है धमकी ये है की रोजी रोटी कमानी है तो जन्मदिन मनाओ नाम न छापने की शर्त पर एकप्रसाशनिक अधिकारी कहते हैं 'हमसे इस तरह पैसे की मांग की जाती है जैसे हमने कोई अपराध करके धन जमा रखा हो ,अपमानित होने से बेहतर है,हम लम्बी छुटी लेकर घर बैठ जाए
किसी भी लोकतंत्र के लिए इससे शर्मनाक क्या होगा की जिस के हांथों में सत्ता की बागडोर हो वही खुलेआम वसूली का कारखाना खोल दे देश की राजनीति की दिशा तय करने वाला राज्य और उसकी जनता आज कराह रही है जाति,धर्म की राजनीति के दम पर सिंहासन पर काबिज होने की कोशिश करने वाले भाजपा और कांग्रेस के तिकड़म का प्रत्युतर समझे जाने वाली मायावती इस कदर मतान्ध हो जाएँगी ,ये किसी ने नही सोचा था चंदा वसूली के इस व्यापक अभियान की खबरें भी पटरियों पर पिछली पंक्तियों में रखे जाने वाले कुछ एक अखबारों ने प्रकाशित की और बाकी राज्य सरकार के चेहरे पर कालिख पोत रही इस ख़बर को सीधा निगल गए ,अभियंता की हत्या के बाद सिर्फ़ तथ्य प्रकाशित किए गए सच नही तथ्य भी वो जो मुख्यमंत्री मायावती और उनका पिट्ठू कैबिनेट सचिव सशंक शेह्खर पत्रकारों को पत्रकारवार्ता में ललकारते हुए बता रहे थे जबकि सभी जानते हैं की मुख्यमंत्री के जन्मदिन के नाम पर पूरे प्रदेश में अधिकारियों और व्यवसायिओं से अरबों रुपये की चंदा वसूली होती है मुख्यमंत्री के जन्मदिन के चंदे की वसूली के इस सारे खेल में पुलिस ,वसूली टीम के साथ कंधे से कन्धा मिला कर सहयोग कर रही है प्रत्येक थाने में चंदे की रकम तो पहले ही तय कर दी गई थी ,इसके अलावा प्रदेश में पुलिस के तमाम अधिकारी ,व्यवसाइयों पर दबाव बनने का काम कर रहे हैं सच तो यह है की पुलिस की हिटलिस्ट में शामिल तमाम माफियाओं को जिनमे मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद भी शामिल है ,चंदे की भारी रकम लेकर कला कारोबार करने की खुली छूट दे दी गई है चंदे की इस वसूली को पूरी तरह से जायज बताते हुए ख़ुद मुख्यमंत्री कहती हैं की सभी लोग स्वेच्छा से चंदा दे रहे हैं हमारे लोग किसी को को भी रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है की चंदे की रकम न देने की स्थिति में अधिकारियों को पवेलियन वापस भेज देने की खुली धमकी दी गई है जन्मदिन के चंदे के लिए प्रदेश को चरने की यह कवायत बेहद खतरनाक है ,यह उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य है की जिनके हाथों में सत्ता की बागडोर है ,वही चंदे के नाम पर भ्रष्टाचार और अपराध का पौधा लगा रहे हैं
Aawesh ji suchana to sab de sakte hai lekin jis tarah se soochana ke samaj par pad rahe prabhav ka aapne vishleshan kiya hai aurt Nirbhay hokar is madandh satta ke khilaaf aapki kalam ne aakrosh ko shabdo me dhalkar yaha uker dihya hai usse aap nisandeh badhai ke patr hai, aur aaane wala bhavishya aashwast ho sakta hai ki is yug me jaha har cheej bikaaoo, har insaan swarthi aur darpok hota ja raha hai kuchh patrkaar aise bhi hai jin par bhavishya bharosa kar sakta hai......
जवाब देंहटाएंawdhesh ji namskaar ......
जवाब देंहटाएंsbse pahle to badhyi ki aapne khul kr apni baat kahi ......lekin eska vikalp kya hai? ek aam aadmi kya kre?
kaash ki humaare paas koi vikalp hota . kassh ki koi aisi parti hoti ...jo sirf vikaas aur unnati ka kaam krti .....
kaash ki hum aur aap aisa kuchh milkr kr skne ki koshish krte .....
Aap ka likha padha . bahut accha laga sath hi sochne ko majhboor ho gayee ki aane vala kal kaisa hoga.bhavishya mai kal ham kaha par honge ,soch kar daar lagta hai.aapki lekhni ka samman kartee hun.
जवाब देंहटाएंgud job.....badhai.
जवाब देंहटाएंsach ko sab ke saamne lane ka hosala aapse kuchh log hi karsakate hai .
जवाब देंहटाएंiswar aapko aur sahyogi prdan kare
आवेश जी .. लिखते तो बेहतरीन हो आप, पर सोच भी बड़ी उम्दा रखते हो ... देखो भारत एक एसा देश है जहा घुस लेना और देना आम बात हो गई है .. जैसे कह लो daily life का एक हिस्सा . आदत हम ही डालते है.. क्युकी हम आम पब्लिक एक जुट नहीं है ..और इसी बात का फायदा यह लोग उठाते है ...
जवाब देंहटाएंबहोत उम्दा लेखनी है आपकी ... keep it up ..
आपका सत्य को दृढ़ता से पेश करने का जज्बा प्रसंसनिये है | यू ही जागरूकता का प्रकाश फैलाते रहिये, ईश्वर ने चाहा तो ये नैतिक मूल्यों में आई गिरावट का अँधेरा जरुर छटेगा |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंAwesh ji,
जवाब देंहटाएंaapke is lekh ka shirshak hi dhyanaakarshit karne keliye kafi hai.sirf ek pradesh ki kya baat karen sabhi jagah aisa hi ho raha.jaha jo satta mein hai waha sabhi ghrina ki hud tak raajniti kar rahe. aapki lekhni ki saarthakta keliye badhai.
Is tarah bebaak tareeke se likhna, kewal aap hi kar sakte hain..apne ander ki is aag ko kabhi bujhne mat djiyega...
जवाब देंहटाएं