मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
जेड एडम्स का "सेक्स मेनियाक "गाँधी
किसी भी व्यक्ति की सेक्सुअल लाइफ को सार्वजानिक करना खुद को चर्चा में लाने का बेहद आसान तरीका है,लेकिन अगर वो व्यक्ति कोई नामचीन शख्शियत हो तो उन्हें एक्सपोज करने के नाम पर की गयी कोई भी कोशिश चर्चाओं के साथ साथ धन की चाशनी मिलने की भी वजह बन जाती है |गांधीजी के सेक्स जीवन पर ब्रिटिश इतिहासकार जेड एडम्स की नयी किताब GANDHI:NAKED AMBITION पिछले हफ्ते बाजार में आई है | जेड एडम्स का कहना है कि हिंदुस्तान ने गांधीजी की मृत्यु के बाद उन्हें राष्ट्रपिता के रूपमे स्थापित करने के लिए उन तमाम तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया जिनसे ये साबित हो सकता था कि वो एक सेक्स मेनियाक थे |जेड एडम्स का ये भी कहना है कि उनमे महात्मा जैसा कुछ नहीं था ,वो पूरी तरह से सेक्स को माध्यम बनाकर खुद को अध्यात्मिक रूप से परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे थे ,देश को चलाने की उनमे कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी |एडम्स ने अपनी किताब में कहा है कि एक बेहद असामान्य यौन जीवन जीने वाले ,खुद नग्न महिलाओं के साथ सोकर ,नवविवाहित जोड़ों को अलग अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देने वाले गाँधी नेहरु के शब्दों में "अप्राकृतिक और असामान्य " थे ,वहीँ आजादी के पूर्व आखिरी ब्रिटिश प्रधानमंत्री के शब्दों में "एक बेहद खतरनाक ,अर्ध -दमित और असामान्य यौन व्यवहार "वाले व्यक्ति थे |सवाल सिर्फ ये नहीं है कि जेड एडम्स के द्वारा गाँधी जी के सेक्सुअल जीवन की मीमांसा में सच कितना है और झूठ कितना बल्कि सवाल ये भी है कि इस उपन्यास के द्वारा जेड एडम्स हिंदुस्तान को और गांधीजी को जानने वालों को क्या कहना चाहते हैं |ये बताना शायद आवश्यक है कि इस उपन्यास के प्रकाशन की सर्वप्रथम जानकारी मुझे लन्दन में रह रहे और विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े मोहन गुप्ता ने मेल के द्वारा दी |
गाँधी जी की मृत्यु के बाद उनकी नीतियों और विचारों को लेकर आलोचना प्रत्यालोचना हमेशा से होती रही है और ये आवश्यक भी था| लेकिन सेक्स और ब्रहमचर्य पर उनके विचारों को उसके मूल तत्व को जाने बिना बार बार गाँधी को कटघरे खड़ा किया गया उनके अपने विचार ,उनकी अपनी साफगोई जेड एडम्स जैसे लोगों के लिए उनके ही चरित्र के खिलाफ हमला करने के औजार बन गए |एक ऐसे वक़्त में जब समूचे विश्व में सेक्स संबंधों पर तमाम पूर्वाग्रहों को पीछे छोड़ न सिर्फ पश्चिम बल्कि हिंदुस्तान जैसा परम्परावादी देश भी अत्यधिक उदारता की और बढ़ रहा है क्या सिर्फ इसलिए गाँधी को कटघरे खड़ा किया जा सकता है क्यूंकि उन्होंने सेक्स को लेकर भी प्रयोग किया और उन प्रयोगों को इमानदारी से जग जाहिर भी कर दिया |जेड एडम्स अपने उपन्यास में गांधीजी के निजी सचिव प्यारेलाल की बहन सुशीला नायर का भी जिक्र किया है ,एडम कहते हैं "वो गाँधी जी के साथ सोती और नहाती थी ,गांधीजी इस बारे में कहते थे कि जब मैं सुशीला के साथ नहाता हूँ तो मैं अपनी आँखें बंद कर लेता हूँ मुझे कूच भी नजर नहीं आता सिर्फ साबुन लगाने की ध्वनि सुनाई देती है ,मुझे ये भी नहीं पता होता की कब वो पूरी तरह से नग्न हो चुकी होती है और कब उसने सिर्फ पेंटी पहनी होती है "| |मुझे नहीं मालूम एडम्स द्वारा प्रस्तुत किये गए इस तथ्य में कितनी सत्यता थी लेकिन अगर वास्तव में ऐसा था, तो ये अपने आप में गाँधी जी के सेक्स को लेकर किये गए प्रयोगों में उनकी सफलता को इंगित करता है और ये बताता है कि ,एक ऐसे विश्व में जहाँ वेटिकन सिटी से लेकर वाराणसी तक सभी धर्मों के धर्माचार्यों के सेक्स से जुड़े किस्सों का रोज बरोज खुलासा हो रहा हो ,सही अर्थों में वो एक महात्मा थे|जेड एडम्स ने उस एक कथित घटना का जिक्र किया है जिसमे गाँधी जी कि और से कहा गया है कि जब मेरे पिता मृत्यु शय्या पर आखिरी साँसें गईं रहे थे मै कस्तूरबा के साथ बिस्तर पर था ,और जब वापस लौटा पिता की मृत्यु हो चुकी थी ,एडम कहते हैं गाँधी इस एक घटना की वजह से बेहद दुखी थे |मैं नहीं जनता इस घटना में कितना सच है लेकिन अगर ये सच है तो क्या कोई भी मनुष्य इस एक कटु को सच को जगजाहिर करने की हिम्मत करेगा ?शायद कभी नहीं ,गाँधी जी खुद की आलोचना करना और खुद को कटघरे में खड़ा करने के आनंद से वाकिफ थे ,यही एक बात गाँधी को युगपुरुष बनाती है|
एडम अपने ज्ञान के अनुसार बताते हैं कि एक वक़्त आचार्य कृपलानी और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गाँधी जी से उनके सेक्स सम्बन्धी विचारों की वजह से दूरी बना ली थी ,यहाँ तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनैतिक साथी भी इससे खफा थे ,कई लोगों ने गाँधी जी के इन प्रयोगों की वजह से आश्रम छोड़ दिया था |गाँधी जी को अत्यधिक कामुक साबित करने को लेकर एडम के अपने तर्क हैं | एडम लिखते हैं कि "जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गाँधी ने १८ साल की मनु को बुलाया और उससे कहा कि " अगर तुम हमारे पास नहीं होती तो हम मुस्लिम चरमपंथियों द्वारा मार दिए जाते ,चलो आज से हम दोनों एक दूसरे के पास नग्न होकर सोयें और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें" |एडम कहते हैं कि जब लोगों ने सुशीला से खुद के अलावा मनु और आभा के साथ गाँधी के शारीरिक संबंधों के बारे में पूछताछ कि तब उन्होंने यहाँ कह कर कि वो गाँधी के ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों का हिस्सा था ,पूरी बात को घुमाने की कोशिश की |एडम की सोच के उदगम का पाता उनकी किताब में लिखे इन शब्दों में साफ़ झलकता है| वो कहते हैं कि"गाँधी की मृत्यु के बाद लम्बे समय तक सेक्स के प्रति उनके प्रयोगों पर लीपापोती की जाती रही ,उनके प्रयोगों और कथित तौर पर ब्रहमचर्य का पालन करके द्वारा लम्बे समय तक संरक्षित करके रखा गया वीर्य भी देश को विभाजन से नहीं बचा सका ,और वो कोंग्रेस पार्टी थी जो अपने स्वार्थों के लिए अब तक गाँधी और उनके सेक्सुअल बिहेविअर से जुड़े सच को छुपाने का काम करती रही ,अगर कुछ वर्ष पूर्व भारत में सत्ता परिवर्तन न होता तो ये सच भी सामने नहीं आता |क्यूंकि गाँधी जी की मौत के बाद मनु को मुंह बंद रखने को कह दिया गया ,वहीँ सुशीला हमेशा से चुप थी |
जेड एडम्स ने इस उपन्यास के पूर्व १९९५ में नेहरु -गाँधी संबंधों पर भी एक किताब THE DYSTANY लिखी थी ,अगर आप उस एक किताब को पढने के बाद एडम की ये किताब पढेंगे तो आपको साफ़ लगेगा कि खुद को सत्यता का अन्वेषी साबित करने में जुटा ये लेखक मूल रूप में घोर नस्लवाद का शिकार है ,साथ ही उसे सलमान रश्दी और तसलीमा की राह पर चलकर बाजार में बने रहने का मंत्र भी बखूबी आता है ,वो ये भी जानते हैं कि गाँधी को लेकर समय समय पर अपना मानसिक संतुलन खो रही विचारधारा सिर्फ भारत में ही नहीं समूचे विश्व बिरादरी का हिस्सा बंटी जा रही है |अपने साक्षात्कार में एडम खुद स्वीकार करते हैं कि "मै जानता हूँ इस एक उपन्यास को पढ़कर हिंदुस्तान की जनता मुझसे नाराज हो सकती है लेकिन जब मेरी किताब का लन्दन विश्विद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम हिन्दुस्तानी छात्रों ने मेरे इस साहस के लिए मुझे बधाई दी"|एडम के इस बयान के पीछे का सच भी हम जानते हैं ,अब तक जितने लोगों ने भी गाँधी की सेक्स से जुडी विचारधारा को लेकर उनको कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है ,उनमे से कुछ एक जिनको मै जानता हूँ विवादित रहकर आगे बढ़ने का फार्मूला जानते हैं ,और एडम भी उनमे से एक हैं |किताब की बिक्री जोरों पर हैं ,गाँधी को बेचना और वो भी सेक्स के साथ निस्संदेह फायदे का सौदा है लेकिन ये भी सच है कि एडम या उन जैसे इतिहासकारों के द्वारा गाँधी के व्यक्तित्व को चोटिल करना नामुमकिन हैं ,हाँ गाँधी जी को जेरे बहस जरुर लाया जा सकता है |
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अडम्स बजबजाती नाली का कीड़ा है -गान्धी की सत्य की सदैव निर्भीक स्वीकृति ही उन्हें महान बनाती है,महात्मा का दर्जा दिलाती है -और ये गधा (अडम्स) उनकी आत्मकथा माई एक्स्पेरिमेंट विथ ट्रूथ से अधिक क्या उजागर कर रहा है? गांधी के विराट व्यक्तित्व के आभामंडल में उसका यह खुदर प्रयास खुद ही तिरोहित हो जाएगा !
जवाब देंहटाएंअपने संतुलित टिप्पणी भले ही की हो परन्तु यह बात अपनी जगह है की कोई प्रसिद्द व्यक्ति कितना ही स्पस्ट लिखने का प्रयास करे उसके अंतर्मन को समझना और जानना सबके बूते की बात नहीं. गांधीजी कितने ही महान और प्रसिद्ध क्यों न हों चर्चा होनी चाहिए
जवाब देंहटाएंPlease send this Article to Mr. Adam who didn't really about 1% about Ghandhi Ji. Any body who should know about Ghandhi Ji first go on that height from where Ghandhi Ji thought.
जवाब देंहटाएंToday in this world where every body just in the trap of sex due to the changes coming in society through technology or otherwise, every should take lesson from Ghandhi Ji that in how way one should see mother and sister in even nude.
Can any western have this power? just come.
Its only happened in India, where we didn't see sex from the half-naked women on the bank of river in rural India. But offcourse i felt indian forget about brahmcharya, because oftenly we get knews of Rape by relatives which happend due to Sex frustration or otherwise.
So There must be need to take Ghandhi Ji words and opininon in that sense in which actully they established.
Moreover in Mahabharta Dharmraj tells that in Kalyug Dharma is established by only Truth and That path is followed by non other than Mahatma Gandhi.
Have You Dare to go on this Path ? If no then Just shut-up Mr. Adam.
जेड एडम्स को गाँधी के व्यक्तित्व का ज्ञान नहीं है वरना वो इस तरह कि बातें कभी न करता ! या फिर ये भी कह सकते हैं कि हो न हो ये सब किताब कि पब्लीसिटी के लिए हो रहा है ! गोरों कि सेक्सुअल लाईफ के बारे में हम क्या कह सकते हैं क्योंकी सब कुछ सब जानते हैं ! इसलिए..जो जैसा होता है वो दुसरो के प्रती भी वैसी ही विचारधारा रखता है ! लेकीन इससे कुछ होने वाला नहीं है गाँधी कि महानता के आगे उसकी ये बेतर्क बातें धुल साबित होंगी ! जय हिंद
जवाब देंहटाएंमुझे लगता हे की हमें मात्र गाँधी जी के सार्वजानिक जीवन से मतलब रखना चाहिए ,नाकि उनके सेक्स जीवन से,उन्होंने जो किया वो अतुलनीय हे पूरा विश्व उसने जनता और मानता हे उसके बारे में बात करने की कोई आवश्यकता नहीं हे और रही उनकी सेक्स लाइफ के बारे में,तो वो इस राष्ट्र के बापू हे और यहाँ के बच्चे अपने बाप दादाओ की सेक्स लाइफ डिस्कस नहीं करते ,मिस्टर जेड अदाम्स जी,और हा उनके सेक्स सम्बन्ध अगर ब्रिटेन की रानी से भी होते तो हम मतलब नहीं रखते ,ये उनका निजी मामला हे अगर वो जबरदस्ती करते तो ये निंदनीय होता,उनका जीवन महान हें
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